BA Semester-2 Ancient Indian History and Culture - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

अथवा
मौर्य साम्राज्य के विघटन के कारणों का विवेचन कीजिए।
अथवा
मौर्य वंश के पतन के कारण लिखिए।
अथवा
मौर्य वंश / साम्राज्य के पतन के कारणों का विस्तृत और सुस्पष्ट वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मौर्य सम्राज्य के पतन का कारण अयोग्य उत्तराधिकारी का होना था। समझाइए।
2. मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

मौर्य सम्राज्य का पतन

मौर्य साम्राज्य की समाधि पर खड़े होने पर स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि अशोक के निधन के इतने शीघ्र बाद ही क्यों इस साम्राज्य का पतन हुआ। महामहोपाध्याय हरिप्रसाद शास्त्री का विचार है कि इसका कारण अशोक की नीति के विरुद्ध ब्राह्मणों का वैमनस्य था। अशोक ने यज्ञों के निषेध, धम्म- महामात्रों की नियुक्ति और व्यवहार तथा दण्ड की अपनी अविषम समता के विधान में उनको नितान्त विद्वेषी बना लिया था।

चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य अशोक के समय अपनी विशालता की चरम सीमा पर पहुंच गया था। अशोक की मृत्यु के बाद स्वतः पतन प्रारम्भ हो गया था। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

1. स्वयं सम्राट अशोक - मौर्य वंश के पतन के लिए सम्राट अशोक स्वयं उत्तरदायी माना जाता है। महामहोपाध्याय हरिप्रसाद शास्त्री का विचार है कि सम्राट अशोक की नीति के विरुद्ध ब्राह्मणों का वैमनस्य था। अशोक ने स्वयं यज्ञों के निषेध, धम्म- महामात्रों की नियुक्ति और व्यवहार तथा दण्ड की अपनी अविषम समता के विधान में उनको नितांत विद्वेषी बना लिया था। इन विधानों ने ब्राह्मणों को कुपित बना लिया था। अशोक की अहिंसा नीति के कारण सैन्य शक्ति अधिक कमजोर हो गयी थी। 'युद्ध' नाम का शब्द अशोक के राज्य में कोई भी सामन्त, योद्धा तथा अधिकारी उच्चारण नहीं कर सकता था। इस प्रकार देखा जाये तो अन्य किसी भी कारण को महत्व न देकर सम्राट अशोक ही मौर्य साम्राज्य के पतन का मुख्य दोषी था।

2. राजतंत्रात्मक शासन तथा अयोग्य उत्तराधिकारी - राजतंत्रात्मक शासन प्रणाली राज्य की क्षमता एवं योग्यता पर निर्भर होती है क्योंकि राज्य ही संपूर्ण राज्य का केन्द्र बिन्दु होता है। यदि इसमें जरा सी भी अस्थिरता एवं अशक्ता आयी वहीं पर राज्य की स्थिति डांवाडोल हो जाती है। अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य में ऐसा कोई सशक्त एवं दृढ़ राजा नहीं हुआ जो संपूर्ण शासन व्यवस्था को समुचित रूप से व्यवस्थित कर सके। परिणामस्वरूप मौर्य साम्राज्य का पतन होने लगा। डॉ. आर. के. मुकर्जी के अनुसार मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों में प्रमुख कारण राजवंश के राजनीतिक संगठन की कोई अन्दरूनी और स्वाभाविक कमजोरी हो सकती है। यह साम्राज्य निरंकुश राजतंत्र था, इस प्रकार की राजतंत्रात्मक प्रणाली में यह दोष रह जाता है कि कोई राजा अपने उत्तराधिकारी राजाओं में उन गुणों के होने का विश्वास नहीं दिला सकता जिसका होना निजी शासन के लिए आवश्यक है। कोई भी व्यक्ति अपनी सन्तान में अपने व्यक्तिगत गुणों का समावेश नहीं कर सकता था। यही कारण है कि जिस राज्य धर्म की स्थापना अशोक ने की थी वह उसके जीवनकाल में ही लड़खड़ाने लगी, क्योंकि वह राज्य अधिकांश जनता की इच्छा पर निर्भर नहीं था।

3. केन्द्रीय प्रशासन की कमजोरी - अशोक के बाद मौर्य वंश का कोई यशस्वी राजा नहीं हुआ जो संपूर्ण शासन को सुव्यवस्थित रख पाता, फलतः प्रान्तीय शासन स्वतंत्र होने लगे। कल्हण की राजतरगिणी के अनुसार अशोक की मृत्यु के पश्चात् काश्मीर का शासक जालौक बन गया था। उसने काश्मीर को जीत लिया था। तिब्बती इतिहासकार तारानाथ के अनुसार वीरसेन गन्धार देश का राजा हो गया। कालिदास द्वारा रजित मालाविका अग्निमित्रम नाटक के अनुसार विदर्भ मौर्य साम्राज्य से स्वतंत्र हो गया। यूनानी लेखक पालोनियस के अनुसार मगध का उत्तरी भाग छिन जाने के कारण एण्ट्योकसौं महान ने हिन्दूकश पार किया और भारत आ पहुंचा। उसने सुभगसेन से फिर से मैत्री संबंध स्थापित किये। अब उसके पास 150 हाथी हो गये। सुभगसेन द्वारा दी जाने वाली सारी संपत्ति को अपने देश पहुंचाने का भार सिजियस के अण्डोस्थेनीज को सौंपकर अपनी सारी सेना कि लिए रसद लेकर वह अपनी सैनिक टुकड़ियों के साथ आगे की ओर चल दिया। इससे ज्ञात होता है कि सुभगसेन एक राजा के रूप में उत्तरी प्रान्त में राज्य करता था। अतः केन्द्रीय शासन की दुर्बलता के फलस्वरूप ही अधीनस्थ प्रान्तीय शासक होने लगे। परिणामस्वरूप मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ।

4. प्रान्तीय शासकों के अत्याचार - सुदूर प्रान्तों में शासकों तथा वहाँ के कर्मचारियों ने जनता पर अत्याचार करने- प्रारम्भ कर दिये थे। ये अत्याचार बिन्दुसार के समय से ही प्रारम्भ हो गये थे। तक्षशिला में जनता के विद्रोह का उल्लेख मिलता है जिसे क्रमश: अशोक तथा कुणाल ने शान्त किया।

डॉ. राय चौधरी के अनुसार मंत्रियों के अत्याचारों का प्रमाण कलिंग के शिलालेख से ज्ञात होता है जिसमें अशोक स्वयम् कहता है- "सभी लोग मेरी सन्तान हैं। जैसे मेरी सन्तानें सुख भोगें और परलोक प्राप्त करें वैसे ही मैं अपनी प्रजा की भी सुख-समृद्धि की कामना करता हूँ। पर तुम लोग मेरी सत्यता को पूरी तरह नहीं निभाते हो। यदि जनता को कष्ट मिलता है तो इसके कारण का पता लगाकर उचित उपाय किया जाये। मैं इस कार्य हेतु हर पंच वर्ष बाद पवित्र संयमी नम्र जीवन बिताने को व्यक्तियों को भेजूंगा जो जनता के कष्ट को दूर करने में सहायक हों। अतः यह सिद्ध होता है कि अशोक के बाद इन लोगों नें विद्रोह करना प्रारम्भ कर दिया हो, फलतः मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ।

5. राज्यों में गुटबन्दी तथा व्यक्तिगत राग-द्वेष - राज्यों में विभिन्न दलों में गुटबन्दी होने के कारण वे राष्ट्रीय दृष्टिकोण को भुला देते थे और व्यक्तिगत ईर्ष्या-द्वेष में फंसे रहते थे। राजमहल में तो रानियाँ और राजकुमार भी षड्यन्त्र रचा करते थे। अशोक के समय उसकी रानियाँ एवं पुत्र के एक- दूसरे के विरुद्ध कुचक्र रचने का उल्लेख प्राप्त होता है। अतः सम्राट को पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ।

6. करों का आधिक्य - मौर्य साम्राज्य में करों की व्यापकता के कारण ही साम्राज्य का पतन हुआ पतंजलि के महाभाष्य में करों के लिए मौर्य सम्राटों ने जिस नीति का अनुसरण किया वह जन- असन्तोष की नींव का कारण बनी।

7. रिक्त राजकोष - मौर्य सम्राटों ने अपने शासनकाल में निर्माण तथा स्थापत्य कार्य में राजकोष की आय का अधिकांश भाग व्यय कर दिया था। अशोक ने अपने शासनकाल में स्तूप, स्मारकों, मठों एवं दानशालाओं तथा शिलालेख और अभिलेखों पर असंख्य रुपया व्यय किया, जिसके कारण आगे चलकर उसके उत्तराधिकारियों को राजकीय कार्यों हेतु धन की कमी महसूस हुई और आवश्यक कार्यों को वे पूर्ण न कर सके। फलस्वरूप साम्राज्य की सुरक्षा और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो गया जो धीरे-धीरे पतन के रूप में परिवर्तित हो गया।

8. विशाल साम्राज्य - चंद्रगुप्त की विजयों और अशोक की धर्म-विजयों के द्वारा मौर्य साम्राज्य - सदूर दक्षिण तक फैल गया था। राज्य में यातायात के साधनों का भी अभाव था। अतः संपूर्ण राज्य को एक ही केन्द्र से नियंत्रित करना अशोक के अयोग्य उत्तराधिकारियों के लिए असंभव हो गया था, फलतः अधीनस्थ राज्य अपनी-अपनी स्वतंत्रता घोषित करने में लग गए, इस कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ।

9. कर्मचारियों का सम्बन्ध राजा से होना - मौर्य शासन प्रणाली के अंतर्गत सभी कर्मचारी सीधे राजां के अधीनस्थ होते थे, अतः उनका राज्य के प्रति क्या कर्तव्य है, इससे वे अनभिज्ञ रहते थे। सम्राट के बदलने से वे भी बदल गये। इस कारण वरिष्ठ तथा अनुभवी लोगों की कमी के कारण राज्य की नींव हिल गयी तथा साम्राज्य का पतन हुआ।

10. राष्ट्रीय एकता की कमी - राष्ट्रीय एकता की कमी के कारण भी मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ. डॉ. मिला थापर ने भी मौर्य साम्राज्य के पतन के रूप में राष्ट्रीय एकता की कमी को माना है।

11. भूमि स्वामित्व और आर्थिक विषमता - मौर्य शासनकाल में भूमि राजा की होती थी, जनता का भूमि पर स्वामित्व नहीं होता था जिस कारण जनता उत्पादन में विशेष रुचि नहीं लेती थी। इसके साथ ही साथ समाज में आर्थिक विषमता के फलस्वरूप भी मौर्य सम्राज्य का पतन हुआ। डॉ. रमिला थापर ने इस कारण को भी मौर्य साम्राज्य के पतन के रूप में स्वीकार किया है।

12. विदेशी आक्रमण - डॉ. आर. सी. मजूमदार के अनुसार "आन्ध्रों का सफल विद्रोह यूनानी राजा का मगध साम्राज्य में दूर तक सफल आक्रमण तथा उत्तर पश्चिमी अधिराज्यों के अलग हो जाने से मौर्य साम्राय की शक्ति और सम्मान को गंभीर धक्का लगा। इस कारण भी मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ।

13. ब्राह्मणों का विरोध - ब्राह्मणों ने भी मौर्य साम्राज्य के पतन में अपना पूर्ण हिस्सा लिया। ब्राह्मण अशोक की बौद्ध नीतियों तथा अहिंसा की नीति से पूर्णतया असन्तुष्ट थे। महामहोपाध्याय हरिप्रसाद शास्त्री के अनुसार अशोक द्वारा पशुवध को वर्जित ठहराना तथा धर्म महामात्रों की नियुक्ति करना ब्राह्मणों पर सबसे करारी चोट थी। इसके साथ ही साथ दंड समन्त और व्यवहार समन्त के सिद्धान्तों को अपने कर्मचारियों द्वारा बलपूर्वक लागू करना भी अपने आप में एक कारण था। क्योंकि इसके अनुसार सभी के साथ समान व्यवहार एव समान दंड दिया जाये। ब्राह्मणों को अभी तक कठिन दंड अथवा मृत्युदंड नहीं दिया जाता था।

इस प्रकार प्रान्तों में अत्याचारों की सीमा नहीं रही। उनको संयत और मर्यादित रखने के लिए अशोक अब जीवित न था जिससे जनता में उनके प्रति विरक्ति और क्षोभ तीव्र गति से बढ़ने लगा। साम्राज्य की समस्त शक्ति नष्ट हो चुकी थी और जब तूफान उठा तब उसके प्रान्त शीघ्र ही तितर-बितर हो गये।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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